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ऐसा रेल हादसा जिसमे बोगियां काटकर निकनी पड़ी लाशें, बिखरे पड़े थे शरीर के टुकड़े, 281 लाशें पटरियों पर #TrainAccident #Igandu_Train_Collision #KFY #KHABARFORYOU

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पहाड़ियों के बीच से बलखाती दौड़ती ट्रेन, खिड़की से बाहर खूबसूरत नजारे, जिनका मजा ट्रेन में सवार करीब 1200 पैसेंजर्स ले रहे थे कि अचानक जोरदार झटका लगा। ट्रेन नियंत्रण से बाहर हुई और पहाड़ी से नीचे की ओर लुढ़कती हुई मालगाड़ी से टकरा गई। पैसेंजरों में चीख पुकार मच गई। जोरदार टक्कर लगने से ट्रेन के डिब्बे उछलकर इधर उधर जा गिरे। हादसे में 1200 में से करीब 281 पैसेंजर मारे गए और 600 से ज्यादा घायल हुए थे। ट्रेन के डिब्बे एक-दूसरे पर चढ़कर पिचक गए थे।

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12 साल पहले 24 जून को हुआ था हादसा

हालांकि ट्रेन यूनियन के सदस्यों द्वारा ट्रेन में तोड़-फोड़ किए जाने के कारण हादसा होने की बातें उठीं, लेकिन जांच में हादसे का मूल कारण ब्रेक फेल होना ही माना गया। हादसा आज से 12 साल पहले 24 जून की सुबह तंजानिया में हुआ था, जो अफ्रीकी देश के इतिहास का सबसे भीषण हादसा था। आज उस हादसे की बरसी पर आइए बताते हैं कि हादसा कैसे हुआ? बचाव अभियान कैसे चलाया गया और सरकार ने क्या कदम उठाए?



पहाड़ी पर चढ़ते समय ब्रेक फैल

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पैसेंजर ट्रेन दार एस सलाम शहर से मध्य तंजानिया के डोडोमा राज्य जा रही थी। मसगाली शहर पार करने के बाद ट्रेन डोडोमा शहर के पास पहुंची। ट्रेन इगांडू नामक पहाड़ी पर चढ़ने लगी तो चढ़ते समय ट्रेन के ब्रेक खराब हो गए। पायलट ने पहाड़ी की चोटी के पास ट्रेन रोक दी और डिब्बे से बाहर आकर ब्रेक सिस्टम चेक करने लगा। ब्रेक की तारें टूट गई थीं, जिन्हें पायलट ने जोड़ दिया। जब ट्रेन फिर से चलने लगी तो जोरदार झटका लगा।


ब्रेक फिर फेल हो गए और झटके मारते हुए ट्रेन पीछे की ओर लुढ़कने लगी। ट्रेन की स्पीड तेज हो गई और पैसेंजरों में अफरा तफरी मच गई। पायलटों ने ट्रेन को संभालने के प्रयाय किए, लेकिन बात नहीं बनी। पहाड़ी से नीचे लुढ़कते हुए ट्रेन ने 2 रेलवे स्टेशन पार किए और दार एस सलाम की ओर जा रही मालगाड़ी से भिड़ गई। ट्रेन मालगाड़ी के ऊपर चढ़ गई थी। डिब्बे पलटियां खाते ट्रैक के पास मैदान में जाकर गिरे। घायल पायलट ने हादसे की कहानी बयां की थी।

स्वास्थ्य मंत्री खुद उपचार में जुटे

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, घायलों ने फोन करके हादसे की खबर पुलिस को दी। जानकारी मलते ही आस-पास के गांवों में रहने वाले लोग दौड़े आए। स्थानीय लोगों, पुलिस और डॉक्टरों ने मिलकर बचाव अभियान चलाया। डोडोमा के अस्पताल में डॉक्टरों की कमी इतनी थी कि तंजानिया के स्वास्थ्य मंत्री अन्ना अब्दुल्ला ने खुद 400 से अधिक लोगों का उपचार किया। रेस्क्यू टीम को ट्रेन के डिब्बे काटकर घायलों को बाहर निकालना पड़ा।

हादसे के 4 दिन बाद तंजानिया सरकार ने बयान जारी करके हादसे में मरने वालों और घायलों की संख्या की पुष्टि की। उन्होंने बताया कि 88 शवों की शिनाख्त नहीं हो पाई, जिन्हें डोडोमा के बाहर मैली म्बिली कब्रिस्तान में दफना दिया गया। तंजानिया रेलवे कॉर्पोरेशन (TRC) ने पीड़ितों के परिजनों को एक लाश से लेकर 5 लाख शिलिंग तक का मुआवजा दिया, लेकिन मृतकों के परिजनों ने हादसे के लिए सीधे तौर पर रेलवे कॉर्पोरेशन को जिम्मेदार ठहराया।

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