सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर आयोग से शिकायत, इनमें 1 नाम हैरान करने वाला, EVM पर 8 उम्मीदवारो ने जताया है संदेह #EVM #SupremeCourt #KFY #KHABARFORYOU
- Aakash .
- 21 Jun, 2024
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ईवीएम को लेकर विपक्षी दल भले ही तमाम तरह के सवाल उठाते रहे हों, लेकिन जब मौका मिला, तो सब पीछे रह गए। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद सिर्फ 8 उम्मीदवारों चुनाव आयोग में लिखित शिकायत दी है और ईवीएम में लगी माइक्रो-कंट्रोलर चिप में छेड़छाड़ या हेरफेर का शक जताया है। इसमें कांग्रेस, बीजद, एनसीपी के प्रत्याशी तो हैं, लेकिन एक नाम ऐसा भी है, जो आपको चौंका देगा। विधानसभा चुनाव को लेकर भी 3 प्रत्याशियों ने शक जताया है। उनकी भी जांच की जाएगी।
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सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने 26 अप्रैल को उन सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया था, जिनमें ईवीएम में छेड़छाड़ का संदेह जताया गया था। कोर्ट पूरे मामले को निराधार करार देते हुए मतपत्र से मतदान कराने की मांग नामंजूर कर दी थी। तब अदालत ने कहा था कि जिन उम्मीदवारों को ईवीएम में गड़बड़ी का संदेह हो, वे चुनाव परिणाम घोषित होने के सात दिन के भीतर चुनाव आयोग के पास लिखित में शिकायत दें। ईवीएम की दोबारा जांच की मांग करें। ऐसी स्थिति में ईवीएम के माइक्रो-कंट्रोलर की मेमोरी की जांच इंजीनियर करेंगे। अदालत ने ये भी साफ कर दिया था कि इसका पूरा खर्च प्रत्याशी को ही उठाना होगा। अगर चुनाव परिणाम में गड़बड़ी साबित हो जाती है, तो उम्मीदवार को उसका सारा पैसा लौटा दिया जाएगा।
हर EVM के लिए 747,200 का भुगतान
सुप्रीम कोर्ट के
इस निर्देश के बाद कांग्रेस, एनसीपी, वाईएसआर कांग्रेस, बीजू जनता दल, डीएमडीके के
8 प्रत्याशियों ने 92 पोलिंग सेंटरों पर ईवीएम की जांच कराने की मांग की। इनमें एक नाम भाजपा के प्रत्याशी का भी है। महाराष्ट्र के अहमदनगर से भाजपा उम्मीदवार
सुजय विखे पाटिल ने 40 मतदान केंद्रों में ईवीएम का सत्यापन कराने की मांग की है। विखे पाटिल एनसीपी शरद पवार गुट के
प्रत्याशी नीलेश लंके से हार गए थे। आयोग ने कहा था कि दूसरे या तीसरे स्थान पर आने वाले उम्मीदवारों को
ईवीएम सेट के लिए 47,200 रुपये का भुगतान करना होगा।
पहली बार इस तरह का प्रयोग
लोकसभा चुनाव के साथ ही चार राज्यों के विधानसभा चुनाव भी हुए थे। इसमें तीन प्रत्याशियों ने ईवीएम की मेमोरी जांच करने की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ऐसा पहली बार होगा कि दूसरे नंबर पर और तीसरे नंबर पर रहे प्रत्याशियों को हर विधानसभा की 5 प्रतिशत तक ईवीएम की मेमोरी को जांच करने का मौका दिया जाएगा। उम्मीदवारों की तरफ से चयनित ईवीएम की मेमोरी को ईवीएम बनाने वाली कंपनियों और इंजीनियर्स की टीम की उपस्थिति में जांच की जाएगी।
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