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स्वामी विवेकानंद जी की पुण्यतिथि: प्रेरणा और विरासत का स्मर

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आज, 4 जुलाई, 2025 को सम्पूर्ण भारत और विश्वभर में युगपुरुष स्वामी विवेकानंद जी की 122वीं पुण्यतिथि श्रद्धापूर्वक मनाई जा रही है। मात्र 39 वर्ष की अल्पायु में 4 जुलाई, 1902 को बेलूर मठ में महासमाधि लेने वाले इस महान संत ने भारतीय आध्यात्मिकता और दर्शन को वैश्विक पटल पर एक नई पहचान दी थी। उनकी शिक्षाएं और आदर्श आज भी करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणा के स्रोत बने हुए हैं।

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*राष्ट्रीय स्तर पर श्रद्धांजलि:*

राष्ट्रीय स्तर पर भी स्वामी विवेकानंद को उनकी पुण्यतिथि पर याद किया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित देश के कई प्रमुख नेताओं ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संदेश में कहा कि स्वामी विवेकानंद के विचार और उनका दृष्टिकोण हमारे समाज के लिए मार्गदर्शक हैं। उन्होंने हमारे इतिहास और सांस्कृतिक विरासत को लेकर गर्व एवं आत्मविश्वास की भावना जगाई।


*विवेकानंद का प्रभाव और विरासत:*

स्वामी विवेकानंद ने शिकागो में 1893 में हुए विश्व धर्म संसद में अपने ओजस्वी भाषण से पूरे विश्व को मंत्रमुग्ध कर दिया था। उन्होंने केवल भारतीय धर्मों की श्रेष्ठता ही नहीं बताई, बल्कि सभी धर्मों की एकता और सार्वभौमिकता का संदेश दिया। उन्होंने 'साइक्लॉनिक हिन्दू' का खिताब अर्जित किया और पश्चिम में वेदांत और योग के सिद्धांतों को लोकप्रिय बनाया।

उनका मानना था कि ज्ञान का वास्तविक उद्देश्य मानव सेवा है। उन्होंने गरीबों, वंचितों और कमजोर वर्गों के उत्थान पर विशेष बल दिया। उन्होंने कहा था कि सच्चा धर्म वही है जो मानव मात्र की सेवा में समर्पित हो। स्वामी जी ने पुरोहितवाद, धार्मिक आडंबरों और रूढ़ियों का कड़ा विरोध किया। उन्होंने महिला शिक्षा के प्रबल समर्थक थे और मानते थे कि स्त्रियों के उत्थान के बिना किसी भी समाज का विकास संभव नहीं है।

आज उनकी पुण्यतिथि पर, स्वामी विवेकानंद के विचार और उनका राष्ट्र के प्रति समर्पण हमें यह सिखाता है कि कैसे हम अपने अंदर की शक्ति को पहचानें और उसे समाज के उत्थान में लगाएं। उनका जीवन और कार्य हमें निरंतर प्रेरणा देते रहेंगे।

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