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भ्रष्टाचार की पूंछ बनाई, और कलेक्ट्रेट रेंगता हुआ पहुंचा किसान #Neemuch #MPNews #MadhyaPradesh #FarmerCrawling

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भ्रष्टाचार के खिलाफ जब सुनवाई नहीं हुई तो गांव काकरिया तलाई के मुकेश प्रजापत शिकायतों के एक हजार पेजों को धागे में पिरोह कर रेंगते-रेंगते जनसुनवाई में पहुंच गया। उसने गांव की पूर्व सरंपच व पति सहित जिला पंचायत सीईओ पर भी करोड़ों रुपये के भ्रष्टचार का आरोप लगाए। इस पर कलेक्टर हिमांशु चंद्रा ने जांच के आदेश दिए हैं।

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मुकेश का वीडियो भी सामने आया है जिसमें वह कलेक्टर कार्यालय के सामने जमीन पर घिसट रहा है। मुकेश के पास कागजों का एक लंबा ढेर भी है, जो रस्सी की डोर में फंसाकर गले में फंसाए हुए है, साथ ही ये डोर कागज के साथ उसके पीछे लंबी दूर तक घिसट रही है। मुकेश ने बताया कि वह अपने लिए नहीं बल्की जनता के लिए भ्रष्टाचार की पोल खोल रहा है।

जांच के निर्देश

एसडीएम डा. ममता खेडे ने बताया कि मुकेश ने पूर्व में शिकायत की थी। इसको लेकर ग्रामीण विकास विभाग द्वारा जांच की जा चुकी है। फिर से आवेदन दिया गया है, कलेक्टर ने पुन: जांच के निर्देश दिए हैं। इधर, मुकेश ने बताया कि सात साल से चक्कर काट रहा हूं लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हो रही है।

'अजगर' जैसे घिसटकर कलेक्‍टोरेट पहुंचा किसान, करोड़ों के भ्रष्टाचार के सबूतों का पुलिंदा भी लाया , मंगलवार को कलेक्ट्रेट में जनसुनवाई के दौरान एक किसान सांप की तरह जमीन में घिसटते हुए पहुंचा। किसान मुकेश कई सालों से अलग-अलग दफ्तरों के चक्कर काट रहा था, लेकिन उसकी सुनवाई नहीं हो रही थी।


जमीन पर लोटते हुए शिकायत करने पहुंचा शख्स।
7 साल से काट रहा था कलेक्ट्रेट ऑफिस के चक्कर पूर्व सरपंच पर लगाया करोड़ों के भ्रष्टाचार का आरोप भ्रष्टाचार के खिलाफ जब सुनवाई नहीं हुई तो गांव काकरिया तलाई के मुकेश प्रजापत शिकायतों के एक हजार पेजों को धागे में पिरोह कर रेंगते-रेंगते जनसुनवाई में पहुंच गया। उसने गांव की पूर्व सरंपच व पति सहित जिला पंचायत सीईओ पर भी करोड़ों रुपये के भ्रष्टचार का आरोप लगाए। इस पर कलेक्टर हिमांशु चंद्रा ने जांच के आदेश दिए है

वीडियो आया सामने
मुकेश का वीडियो भी सामने आया है जिसमें वह कलेक्टर कार्यालय के सामने जमीन पर घिसट रहा है। मुकेश के पास कागजों का एक लंबा ढेर भी है, जो रस्सी की डोर में फंसाकर गले में फंसाए हुए है, साथ ही ये डोर कागज के साथ उसके पीछे लंबी दूर तक घिसट रही है। मुकेश ने बताया कि वह अपने लिए नहीं बल्की जनता के लिए भ्रष्टाचार की पोल खोल रहा है।


जांच के निर्देश
एसडीएम डा. ममता खेडे ने बताया कि मुकेश ने पूर्व में शिकायत की थी। इसको लेकर ग्रामीण विकास विभाग द्वारा जांच की जा चुकी है। फिर से आवेदन दिया गया है, कलेक्टर ने पुन: जांच के निर्देश दिए हैं। इधर, मुकेश ने बताया कि सात साल से चक्कर काट रहा हूं लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हो रही है।


शिकायतकर्ता के आरोप
काकरिया तलाई के पूर्व सरंपच द्वारा करोड़ों की शासकीय भूमि पर कब्जा कर बेचा जा रहा है। सरपंच रहते लाखों रुपये की मिट्टी खोदकर बेच दी। गांव में बिना सड़क व नाला निर्माण में भ्रष्टाचार किया। जिला पंचायत के पूर्व सीईओ गुरुप्रसाद ने भी भ्रष्टाचार किया है। ईडी से जांच कराई जाए तो मामला सामने आ जाएगा।

मैं अभी बैठक में हूं
इस मामले में पूर्व सरंपच पति गोविंद मेघवाल से संपर्क का प्रयास किया गया, लेकिन हो नहीं सका। जिला पंचायत के पूर्व सीईओ गुरुप्रसाद ने कहा कि मेरा तबादल हो गया है। मैं अभी बैठक में हूं।

पहले भी आ चुके हैं ऐसे मामले
पूर्व के मामले-मंदसौर में जमीन के मामले में साखतली गांव का किसान शंकरलाल पाटीदार 16 जुलाई को जनसुनवाई में लोट लगाते पहुंचा था। -खंडवा में करीब 15 दिन पहले गांव सहेजला निवासी श्यामलाल एसडीएम कार्यालय से लोट लगाते हुए कलेक्टर कार्यालय तक पहुंचा था। किसान का कहना था कि गांव में उसकी जमीन पर दबंगों ने कब्जा कर लिया है।

जिला पंचायत CEO भी भ्रष्टाचार में लिप्त!
मुकेश कहना है कि केवल कांकरिया तलाई में सवा करोड़ का भ्रष्टाचार हुआ, जिसके सबूत पेश किए, लेकिन इसकी जांच में भी भ्रष्टाचार हो रहा है. मुकेश ने तत्कालीन जिला पंचायत CEO गुरुप्रसाद के भी भ्रष्टाचार में लिप्त होने के आरोप लगाए और ED की जांच की मांग की. कलेक्ट्रेट में जब मुकेश प्रजापति आवेदनों की पूंछ बनाकर अजगर की तरह रेंगता हुआ आया तो उसके कपड़े भी फट गए. वहीं मुकेश को इस तरह से देख तमाशबीनों की भारी भीड़ जुट गई.

कलेक्टर ने दोबारा दिए जांच के आदेश
वहीं मुकेश को देख SDM ममता खेड़े और अन्य अधिकारी पहुंचे. उन्होंने मुकेश को समझाने का प्रयास किया, लेकिन मुकेश का यही कहना था कि इतनी बार आने पर भी उसकी कोई सुनवाई नहीं हो रही. उसे न्याय चाहिए. मुकेश ने जिले के नवागत कलेक्टर हिमांशु चंद्रा को पूरा मामला बताया. कलेक्टर ने दोबारा पूरे मामले की जांच के निर्देश दिए.

बहरहाल, मुकेश प्रजापति भ्रष्टाचार के अजगर के एक प्रतीक के रूप में सरकारी तंत्र को चेताने आया कि समय रहते कार्रवाई नहीं हुई तो यह अजगर व्यवस्था को निगल जाएगा. बता दें कि पड़ोसी जिले मंदसौर में भी इसी तरह एक पीड़ित किसान समस्या की सुनवाई न होने पर जनसुनवाई में जमीन पर लेटता हुआ पहुंचा था. जब यह मामला सरकार तक पहुंचा तो कलेक्टर नप गए थे.

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