महाराणा प्रताप जयंती 2025: वो राणा जिनके आगे पहाड़ भी झुके #maharanapratapjayanti #महाराणा_प्रताप #maharanapratap

- DIVYA MOHAN MEHRA
- 09 May, 2025
- 199218
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हर साल जब ज्येष्ठ महीने की गर्महवाएं चलती हैं, राजस्थान की माटी एक बार फिर अपने सबसे वीर सपूत को याद करती है—महाराणा प्रताप। इस साल, 9 मई 2025 (गुरुवार) को उनकी जयंती है, और देशभर में लोग उन्हें श्रद्धा से नमन करेंगे।
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एक ऐसा योद्धा, जिसकी कहानी सिर्फइतिहास नहीं, आत्मा है
महाराणा प्रताप का जन्म 1540 में कुम्भलगढ़में हुआ था। वे मेवाड़के राजा बने, लेकिन उनका असली परिचय उनके ताज या महल से नहीं, बल्किउनके आत्मसम्मान से है। वो दौर ऐसा था जब अधिकांश राजे-रजवाड़े अकबर की अधीनता स्वीकार कर चुके थे। लेकिन राणा प्रताप ने सिर झुकाना नहीं सीखा था।
बचपन से ही कुछ अलग थे महाराणा
1540 में कुम्भलगढ़के किले में जन्मे प्रताप बचपन से ही साहसी और निडर थे। बाकी राजकुमारों की तरह सिर्फशस्त्र और राजनीतिनहीं सीखी—उन्होंने स्वाभिमान का मूल्य भी समझा। पिता उदय सिंह की मृत्यु के बाद जब
गद्दी का सवाल उठा, तो कई दरबारियों की मंशा उनके छोटे भाई को राजा बनाने की थी, मगर प्रताप की दृढ़ता और प्रजा का विश्वास उन्हें मेवाड़का महाराणा बना गया।
हल्दीघाटी का युद्ध: सिर्फयुद्ध नहीं, इतिहास की चेतावनी
1576 का वो दिन आज भी राजस्थान की मिट्टी में दर्जहै—हल्दीघाटी का युद्ध। संख्या में कम, संसाधनों में कमजोर, लेकिन हौसले में आसमान छूते महाराणा प्रताप ने मुगल सेना से लोहा लिया। भले ही युद्ध निर्णायक न रहा हो, लेकिन प्रताप की वीरता ने बता दिया किसच्चा राजा वही है जो अंत तक लड़ता है, हार मानकर झुकता नहीं।
उनका घोड़ा चेतक, जिसकी वफ़ादारी और बहादुरी आज भी कहानियों में ज़िंदा है, इस युद्ध की एक और मिसाल बन गया।
कोई महल नहीं, लेकिन दिलों पर राज किया
जीवन भर जंगलों में भटकते रहे, पहाड़ों में संघर्षकिया, लेकिन कभी अपनी जनता का साथ नहीं छोड़ा। अकबर की तरफ से भेजे गए समझौते के प्रस्ताव बार-बार ठुकराए। महाराणा प्रताप की यही अडिग सोच उन्हें अलग बनाती है। उनका जीवन किसी किताब का अध्याय नहीं, बल्किजीते-जागते आत्मसम्मान की गाथा है।
आज की पीढ़ी के लिए एक संदेश
आज जब हम महाराणा प्रताप को याद करते हैं, तो सिर्फइतिहास नहीं दोहराते—हम एक सीख लेते हैं। ये सीख है किपरिस्थितियाँ चाहे जैसी भी हों, अगर इरादे पक्के हों तो कोई भी ताकत आपको झुका नहीं सकती।
राजस्थान हो या देश का कोई और कोना, आज भी उनकी जयंती पर लोग उन्हें श्रद्धा से याद करते हैं। स्कूलों में निबंध, सभाओं में व्याख्यान और आम लोगों के दिलों में गर्व—यही है महाराणा प्रताप की असली विरासत।
अंत में...
महाराणा प्रताप ने सिर्फयुद्ध नहीं लड़े, उन्होंने हमें बताया किस्वाभिमान क्या होता है। आज उनकी जयंती पर हम उन्हें नमन करते हैं, और वादा करते हैं किउनके आदर्शकभी फीके नहीं पड़ेंगे।
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