यूरोप के साथ-साथ 64 देशों में चुनाव, दुनियां की नजरें होंगी परिणामो पर। #narendramodi #europe #election #लोकसभाचुनाव #eci #un #KFY #KHABARFORYOU #KFYNEWS #KFYWORLD

- Aakash .
- 01 Apr, 2024
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भारत मे लोकसभा के चुनाव नजदीक है साथ ही में अमेरिका के राष्ट्रपति के चुनाव की भी बात सुनने को मिल रही जे लेकिन इसी बीच एक बड़ी जानकारी सामने आई है कि यूरोपियन यूनियन के चुनाव भी 2024 में ही होना तय किया गया है। आपको जानकर सायद हैरानी होगी कि 2024 में दुनिया की आबादी का लगभग 49% इस साल वोट देगा। इसी बीच आशा जताई जा रही है कि इस साल के देशों के आपसी रिश्तों में कई तरह के बदलाव देखने को मिल सकते है।
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भारत के अलावा अन्य देशों में चुनाव
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देश में आम चुनाव का आयोजन होने वाला है, जो 19 अप्रैल से सात चरणों में होगा। इस दौरान करीब 96.8 करोड़ मतदाता वोट डालेंगे। इसी तरह दुनिया की भी लगभग आधी आबादी अपने-अपने देशों में नेता चुनने वाली है। मैक्सिको से साउथ अफ्रीका, और ब्रिटेन से लेकर बेल्जियम तक कुल 80 देशों में या तो हाल में चुनाव हुए, या आने वाले कुछ महीनों में होंगे। ऐसा इतिहास में पहली बार हो रहा है। वैसे तो हर देश के लिए उसका इलेक्शन और नतीजे जरूरी हैं, लेकिन कई डेमोक्रेसीज हैं, जिनके चुनावों में जीत-हार से दुनिया पर असर होगा।
अमरीकी चुनावो का असर
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वहां राष्ट्रपति चुनाव नवंबर में होंगे लेकिन भूचाल अभी से आया हुआ है। पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी एक उम्मीदवार हैं। रिपब्लिकन पार्टी से इस दावेदार पर ज्यादातर वोटर भरोसा भी दिखा रहे हैं। जैसे न्यूयॉर्क टाइम्स के एक सर्वे में 59% वोटरों ने इकनॉमी के मामले में ट्रंप पर भरोसा किया, जबकि वर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडन पर केवल 37% ने भरोसा जताया। ये उनका अंदरुनी मामला है, लेकिन असर लगभग सभी देशों पर दिखेगा। जैसे डेमोक्रेटिक पार्टी को कम आक्रामक माना जाता है। वहीं रिपब्लिकन समेत उसका उम्मीदवार भी बेहद आक्रामक माना जाता है। ट्रंप की बात करें तो वे रूस में वर्तमान सत्ता के करीबी माने जाते रहे, जबकि चीन से तनाव अक्सर बयानों में दिखता रहा। इन बड़े देशों के साथ रिश्तों में उतार-चढ़ाव होते ही हर एक की इकनॉमी और डिप्लोमेसी पर असर हो सकता है। जैसे जो देश अमेरिका के दोस्त हैं, देखादेखी उन्हें भी किसी से कठोर या किसी के लिए नरम लहजा अपनाना पड़ सकता है।
यूरोपियन यूनियन का असर
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यूरोपियन यूनियन का असर शरणार्थी नीति पर यूरोपियन पार्लियामेंट की 720 सीटों पर यानी 27 देशों में जून में चुनाव होंगे। इससे पूरे यूरोप का आने वाले समय में दुनिया के लिए रवैया तय हो सकता है। इसमें जर्मनी, फ्रांस और पोलैंड और डेनमार्क जैसे ताकतवर देश हैं। इन देशों में कथित तौर पर दक्षिणपंथ की हवा चल रही है। ऐसे में अगर इसी सोच या वायदे वाला कैंडिडेट जीतकर आए तो शरणार्थी पॉलिसी पर असर हो सकता है। हो सकता है कि बाहरी लोगों के लिए वहां जगह न बचे, या पहले से रहते लोगों के लिए मूल लोगों का रवैया बदल जाए। इससे पैदा हुए तनाव का असर हर कोने में दिखेगा ईयू की क्लाइमेंट चेंज पॉलिसीज को भी बाकी देश फॉलो करते रहे। फिलहाल बढ़ती ग्लोबल वॉर्मिंग के बीच ये भी देखा जा रहा है कौन सी पार्टियां क्लाइमेट चेंज को लेकर कितनी गंभीर हैं।
पड़ोसी देश श्रीलंका में भी चुनाव
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भारत के पड़ोसी देश
श्रीलंका में भी चुनाव है, जो बहुत खास माना जा रहा है। असल में साल 2022 में गंभीर आर्थिक संकट झेलने के बाद वहां राष्ट्रपति पद के
लिए ये पहला चुनाव होगा। भारत और चीन दोनों की इसपर नजरें रहेंगी क्योंकि दोनों ही देशों ने श्रीलंका
को भारी कर्ज भी दिया, साथ ही भारत इस देश का सबसे करीबी सहयोगी भी माना जाता रहा।
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