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कनाडा की साज़िश हुई कामियाब , खलिस्तनिओ को मिला भढावा

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खालिस्‍तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्‍जर की कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया में हुई हत्‍या के बाद दोनों देश आमने सामने हैं. कनाडा ने इस हत्‍या के लिए भारतीय सुरक्षा एजेंसियों पर निशाना साधा. वहीं, भारत की तरफ से इन आरोपों से इंकार किया गया है| खालिस्तानी समर्थक तत्वअभिव्यक्ति की स्वतंत्रताऔरराजनीतिक समर्थनजैसी धारणाओं की आड़ में करीब 50 साल से कनाडा की जमीन से ‘‘स्वतंत्र रूप से काम कर रहे’’ हैं, लेकिन कनाडा इन चरमपंथियों द्वारा डराने धमकाने, हिंसा किए जाने और नशीले पदार्थों की तस्करी में लिप्त रहने परपूरी तरह चुप्पी साधलेता है. सूत्रों ने मंगलवार यह जानकारी दीसूत्रों ने कहा किएयर इंडियाके विमान कनिष्क में 1985 में खालिस्तानी चरमपंथियों ने बम विस्फोट किया था और यह अमेरिका में 11 सितंबर 2001 को हुए हमले से भी पहले हुआ दुनिया के सबसे बड़े आतंकवादी हमलों में से एक हमला था. उन्होंने कहा कि कनाडाई एजेंसियों की स्पष्ट ‘‘बेरुखी’’ के कारण इस हमले का मुख्य आरोपी तलविंदर सिंह परमार और उसके खालिस्तानी चरमपंथियों का समूह बचकर निकल गए.

 यह है कि परमार अब कनाडा में खालिस्तान समर्थक चरमपंथियों का नायक है और प्रतिबंधित समूह ‘सिख फॉर जस्टिस' ने अपने अभियान केंद्र का नाम भी परमार के नाम पर रखा है।



उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों में खालिस्तानी चरमपंथियों के ‘हौंसले और बुलंद हो गए ' तथा उन्होंने ‘बिना किसी खौफ' के कनाडा से काम करना शुरू कर दिया। सूत्रों ने कहा कि पिछले एक दशक में पंजाब में सामने आए आतंकवाद के आधे से ज्यादा मामलों के तार कनाडा स्थित खालिस्तानी चरमपंथियों से जुड़े होने का पता चला है।उन्होंने कहा कि 2016 के बाद पंजाब में सिखों, हिंदुओं और ईसाइयों को लक्ष्य बनाकर की गई कई हत्याएं खालिस्तानी चरमपंथी हरदीप सिंह निज्जर की करतूत थीं, जिसकी हत्या से भारत और कनाडा के बीच विवाद पैदा हो गया है।
 कनाडाई एजेंसियों ने निज्जर और उनके मित्रों भगत सिंह बराड़, पैरी दुलाई, अर्श डल्ला, लखबीर लांडा और कई अन्य लोगों के खिलाफ कथित तौर पर कभी कोई जांच शुरू नहीं की। पंजाब में लाशों का ढेर लगने के बावजूद वे ‘राजनीतिक कार्यकर्ता' बने हुए हैं।उन्होंने कहा कि पंजाब आज कनाडा से चलाए जा रहे जबरन वसूली गिरोहों के कारण भारी नुकसान झेल रहा है और ‘उत्तर अमेरिकी' देश में स्थित गैंगस्टर ड्रोन के माध्यम से पाकिस्तान से नशीले पदार्थ लाते हैं और उन्हें पूरे पंजाब में बेचते हैं।
उन्होंने कहा कि इस धन का एक हिस्सा कनाडा में खालिस्तानी चरमपंथियों को जाता है। सूत्रों ने बताया कि कनाडा में भी कई खालिस्तानी समर्थक चरमपंथी नशीले पदार्थों के कारोबार का हिस्सा हैं और पंजाब के विभिन्न गैंगस्टर के गिरोहों के बीच प्रतिद्वंद्विता अब कनाडा में आम है।
 विडंबना यह है कि परमार अब कनाडा में खालिस्तान समर्थक चरमपंथियों का नायक है और प्रतिबंधित समूह ‘सिख फॉर जस्टिस' ने अपने अभियान केंद्र का नाम भी परमार के नाम पर रखा है।
उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों में खालिस्तानी चरमपंथियों के ‘हौंसले और बुलंद हो गए ' तथा उन्होंने ‘बिना किसी खौफ' के कनाडा से काम करना शुरू कर दिया। सूत्रों ने कहा कि पिछले एक दशक में पंजाब में सामने आए आतंकवाद के आधे से ज्यादा मामलों के तार कनाडा स्थित खालिस्तानी चरमपंथियों से जुड़े होने का पता चला है।उन्होंने कहा कि 2016 के बाद पंजाब में सिखों, हिंदुओं और ईसाइयों को लक्ष्य बनाकर की गई कई हत्याएं खालिस्तानी चरमपंथी हरदीप सिंह निज्जर की करतूत थीं, जिसकी हत्या से भारत और कनाडा के बीच विवाद पैदा हो गया है।
उन्होंने कहा कि पंजाब आज कनाडा से चलाए जा रहे जबरन वसूली गिरोहों के कारण भारी नुकसान झेल रहा है औरउत्तर अमेरिकीदेश में स्थित गैंगस्टर ड्रोन के माध्यम से पाकिस्तान से नशीले पदार्थ लाते हैं और उन्हें पूरे पंजाब में बेचते हैं. उन्होंने कहा कि इस धन का एक हिस्सा कनाडा में खालिस्तानी चरमपंथियों को जाता है. सूत्रों ने बताया कि कनाडा में भी कई खालिस्तानी समर्थक चरमपंथी नशीले पदार्थों के कारोबार का हिस्सा हैं और पंजाब के विभिन्न गैंगस्टर के गिरोहों के बीच प्रतिद्वंद्विता अब कनाडा में आम है.

कनाडाई एजेंसियों ने निज्जर और उनके मित्रों भगत सिंह बराड़, पैरी दुलाई, अर्श डल्ला, लखबीर लांडा और कई अन्य लोगों के खिलाफ कथित तौर पर कभी कोई जांच शुरू नहीं की। पंजाब में लाशों का ढेर लगने के बावजूद वे ‘राजनीतिक कार्यकर्ता' बने हुए हैं।उन्होंने कहा कि पंजाब आज कनाडा से चलाए जा रहे जबरन वसूली गिरोहों के कारण भारी नुकसान झेल रहा है और ‘उत्तर अमेरिकी' देश में स्थित गैंगस्टर ड्रोन के माध्यम से पाकिस्तान से नशीले पदार्थ लाते हैं और उन्हें पूरेपंजाब में बेचते हैं।
उन्होंने कहा कि इस धन का एक हिस्सा कनाडा में खालिस्तानी चरमपंथियों को जाता है। सूत्रों ने बताया कि कनाडा में भी कई खालिस्तानी समर्थक चरमपंथी नशीले पदार्थों के कारोबार का हिस्सा हैं और पंजाब के विभिन्न गैंगस्टर के गिरोहों के बीच प्रतिद्वंद्विता अब कनाडा में आम है।




अल्पसंख्यक हिन्दुओ को तंग किआ जा रहा है कणाद मे:
 
कनाडा में अपने ‘‘बढ़ते दबदबे’’ से उत्साहित होकर खालिस्तान समर्थक चरमपंथियों ने वहां अल्पसंख्यक भारतीय हिंदुओं को खुलेआम डराना और उनके मंदिरों को विरूपित करना शुरू कर दिया. उन्होंने कहा कि कनाडा में खालिस्तानियों द्वारा भारतीय मिशन और राजनयिकों को खुले तौर पर धमकियां देना गंभीर घटनाक्रम है और ये वियना सम्मेलन के तहत कनाडा के दायित्व को चुनौती देती हैं. सूत्रों ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि कनाडा में मानवाधिकारों के आकलन के लिए अलग-अलग पैमाने हैं. उन्होंने कहा कि पंजाब के छोटे-छोटे मुद्दों पर भी कनाडा से मजबूत आवाज उठती हैं, लेकिन वहां बैठे खालिस्तान समर्थक चरमपंथियों द्वारा डराए जाने और हिंसा , मादक पदार्थों की तस्करी एवं जबरन वसूली किए जाने को लेकर ‘‘पूरी तरह से चुप्पी’’ साधी जा रही है, जिससे दोनों देश प्रभावित हो रहे हैं. नयी दिल्ली और ओटावा के बीच विवाद तब शुरू हुआ, जब कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने जून में हुई निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों की ‘‘संभावित’’ संलिप्तता का 18 सितंबर को आरोप लगाया|

क्या हुआ ऐसा कनाडा और भारत क बिच बिगड़े हालत ?

खालिस्तानी आतंकवादी हरजीत सिंह की हत्या होने के कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन टूडो के आरोप के बाद दोनों देशों के संबंधों में तनाव बढ़ता ही जा रहा है. दोनों पक्षों द्वारा एक-दूसरे के वरिष्ठ राजनयिकों को देश से निकालने के फरमान के बाद गुरुवार को भारत ने कनाडा के लोगों के लिए बीजा सेवाएं सस्पेंड कर संकेत दिए हैं कि वह इस मामले को लेकर बेहद गंभीर है. टूडो ने इस मसले पर बेहद राजनीतिक अपरिपक्वता का परिचय दिया है.
भारत लगातार खासकर खालिस्तान समर्थकों की भारत विरोधी गतिविधियों को लेकर कनाडा सरकार को अल्टीमेटम देते आया है. लेकिन टूडो ने कार्रवाई करना तो दूर, उलटा भारत पर ही आरोप मढ़ दिया|

जस्टिन टूडो के इस रुख की एक बड़ी वजह राजनीतिक भी है. कनाडा की 338 सदस्यीय संसद में टूडो की लिबरल पार्टी (158 सीटें) को बहुमत हासिल नहीं है. उनकी सरकार न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (25) के समर्थन से चल रही है, जिसका प्रमुख जगमीत सिंह खालिस्तान समर्थक माना जाता है. देश में टूडो की लोकप्रियता की रेटिंग भी बहुत कम हैं.
अगर आज चुनाव होते हैं तो वे किसी भी स्थिति में चुनाव जीत नहीं सकते. ऐसे में उन्हें अगले चुनाव के लिए भी न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी की समर्थन की दरकार रहेगी. लिहाजा, टूडो का यही स्टैंड बना रहेगा और इसलिए कनाडा में सरकार बदलने तक दोनों देशों के रिश्तों में विशेष सुधार की कोई गुंजाइश नजर नहीं आती. वहां अगले चुनाव 2025 में होने हैं.

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