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बिक गई है हाई कोर्ट,15-15 लाख घूस लेकर दी गई नौकरियां, अदालत के फैसले पर भड़की ममता बनर्जी #EVM #BJP #Congress #AAP #लोकसभाचुनाव #eci #KFY #KHABARFORYOU #VOTEFORYOURSELF

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शिक्षक भर्ती घोटाले पर था फैसला

पश्चिम बंगाल की सीएम और तृणमूल कांग्रेस (TMC) सुप्रीमो ममता बनर्जी ने कलकत्ता हाई कोर्ट द्वारा ‘शिक्षक भर्ती घोटाला’ मामले में दिए गए फैसले पर कहा है कि भाजपा ने हाई कोर्ट को खरीद लिया है। उन्होंने घोटाले के तहत भर्ती हुए लगभग 24000 शिक्षकों की भर्ती निरस्त किए जाने पर हाई कोर्ट पर ही अपना गुस्सा उतार दिया। बंगाल के लोगों को भड़काते हुए ममता ने कहा कि चाहे कुछ भी हो जाए भाजपा और CPM को शिक्षकों और सरकारी कर्मचारियों का एक भी वोट नहीं मिलना चाहिए।

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कोर्ट के फैसले से सहमत नही ममता

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सीएम ममता ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले पर नाराजगी प्रकट करते हुए कहा, “भाजपा और CPM या कांग्रेस को एक भी वोट नहीं जाना चाहिए।” उन्होंने कहा कि भाजपा ने अदालत को खरीद लिया है। अब बस उम्मीद बची है तो सर्वोच्च न्यायालय से।'' ममता बनर्जी ने आगे कहा कि, “भाजपा ने हाई कोर्ट, सीबीआई, एनआईए, बीएसएफ, सीएपीएफ सबको खरीद लिया है। भाजपा ने दूरदर्शन का रंग भगवा करवा दिया है। दूरदर्शन केवल भाजपा और मोदी की बात करता है। उसे बिलकुल मत देखो। उसका बहिष्कार कर दो।”

ममता पर हुआ पलटवार

ममता के इस भड़काऊ बयान के बाद वरिष्ठ अधिवक्ता विकास रंजन भट्टाचार्य ने पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी के बयानों पर स्वत: संज्ञान लेने के लिए एक याचिका दाखिल की है। उन्होंने कहा है कि ये अदालत की अवमानना है। लोग कोर्ट पर हँस रहे हैं। जजों को पक्षपाती और बिका हुआ कहा जा रहा है। अपनी याचिका के साथ उन्होंने अख़बार की कटिंग भी दी है। उनकी इस याचिका पर अदालत ने मामले को सूचीबद्ध करते हुए इसपर हलफनामा दाखिल करने को कहा है।

क्या था बंगाल का "शिक्षक भर्ती घोटाला"

बता दें कि, यह घोटाला 2014 का है, जब पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (SSC) ने राज्य के सरकारी स्कूलों के लिए शिक्षकों की भर्ती की थी। 2016 में तत्कालीन शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी के नेतृत्व में भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई।  कोलकाता उच्च न्यायालय में अनियमितताओं की कई शिकायतें दायर की गईं। याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि कम अंक वाले उम्मीदवारों को मेरिट सूची में उच्च स्थान दिया गया था, और कुछ उम्मीदवारों को मेरिट सूची में नाम नहीं आने के बावजूद नौकरी दी गई थी। ऐसी भी शिकायतें थीं कि कुछ उम्मीदवारों को शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) पास किए बिना नौकरी दे दी गई, जो राज्य में शिक्षक भर्ती के लिए अनिवार्य है। 2016 में SSC द्वारा 13,000 ग्रुप डी कर्मचारियों की भर्ती में भी इसी तरह की अनियमितताएं सामने आई थीं।


इस मामले पर कोर्ट की प्रतिक्रिया

इन याचिकाओं पर जवाब देते हुए हाई कोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दिए। इसके बाद, ED ने शिक्षक और कर्मचारियों की भर्ती के वित्तीय पहलुओं की जांच शुरू की। पार्थ चटर्जी से 18 मई को CBI ने पूछताछ की थी। ED ने इस साल मई में अपनी जांच शुरू की थी। 22 जुलाई 2022 को ED ने पार्थ चटर्जी के ठिकानों समेत 14 ठिकानों पर छापेमारी की थी। छापेमारी के दौरान अर्पिता मुखर्जी की संपत्ति से जुड़े दस्तावेज मिले थे। पार्थ चटर्जी की दुर्गा पूजा की मॉडल और ब्रांड एंबेसडर अर्पिता मुखर्जी को बाद में ED ने गिरफ्तार कर लिया। अर्पिता के आवास पर छापेमारी के दौरान ईडी को 50 करोड़ रुपये से अधिक नकद, लाखों की विदेशी करेंसी, के साथ 4.31 करोड़ रुपये का सोना भी मिला था।  जब एजेंसियां, इस घोटाले के तहत पार्थ चटर्जी और अन्य TMC नेताओं को गिरफ्तार कर रही थी, तब भी ममता बनर्जी यही कह रहीं थीं कि केंद्र सरकार विपक्षी नेताओं के खिलाफ बदले की कार्रवाई कर रही है।

हालाँकि, जांच पूरी हुई और कुछ दिन पहले ही SSC भर्ती घोटाले में फैसला सुनाते हुए कलकत्ता हाई कोर्ट ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली TMC सरकार को झटका दिया था। शिक्षक भर्ती घोटाले पर फैसला सुनाते हुए कलकत्ता हाई कोर्ट ने कहा था कि 2016 के पूरे पैनल को रद्द किया जाए। 9वीं से लेकर 12वीं ग्रुप C एवं D में हुई सभी नियुक्तियों को अवैध करार देते हुए अदालत ने कहा कि 23,753 नौकरियों को रद्द किया जाए। यही नहीं, इन सभी को 4 सप्ताह के भीतर पूरा वेतन लौटाना होगा, वो भी 12% ब्याज के साथ। अदालत के आदेश पर हुई जांच में ये भी पाया गया कि लोगों से 5 से 15 लाख रुपए कि रिश्वत लेकर ये नौकरियां दी गईं। ये शायद वही पैसा था, जो ममता सरकार में शिक्षा मंत्री रहे पार्थ चटर्जी के घर से मिला था। माना जा रहा है कि, इस मामले में सीएम ममता भी जांच के दायरे में आ सकती हैं, क्योंकि इतना बड़ा घोटाला मुख्यमंत्री की नाक के नीचे हुआ, और उन्हें पता नहीं चला ? इस बात पर यकीन करना मुश्किल है। विरोधियों का कहना है कि शायद इसीलिए ममता बनर्जी बौखलाई हुईं हैं और हाई कोर्ट तक को भला बुरा कह रहीं हैं। दरअसल, कुछ दिनों पहले संदेशखाली मुद्दे पर ममता सरकार को बहुत आलोचना झेलनी पड़ी थी, जिसके बाद इस मुद्दे ने TMC सरकार पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

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