लोकसभा चुनाव के वोट डालने की तारीख नजदीक आ रही है किसी पार्टी या उम्मीदवार को वोट क्यो दिया जाए #BJP #MODI #Congress #AAP #लोकसभाचुनाव #eci #KFY #KHABARFORYOU #KFYNEWS #KFYWORLD #KFY #VOTEFORYOURSELF
- TEENA SONI
- 07 Apr, 2024
- 41286
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भाईयो, लोकसभा चुनाव के वोट डालने की तारीख नजदीक आ रही है प्रचार भी जोरों से चल रहा है। कल मुझे एक परिचित ने एक उम्मीदवार विशेष के पक्ष में वोट डालने को प्रेरित किया, उनसे हुई बातचीत को मैं किसी उम्मीदवार को अपना वोट क्यों देना के रूप में लिख रही हु। किसी पार्टी या उम्मीदवार को वोट क्यो दिया जाए इसके आकलन के लिए निम्न संभावित बिंदु हो सकते है -
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1. चुनाव किसके है - पंचायतों, नगरपालिकाओं, विधान सभाओं और लोकसभा के चुनावो के मुद्दे अलग अलग होते है। नगरपालिका के चुनाव विशुद्ध स्थानीय होंगे, विधानसभा चुनाव शिक्षा पानी बिजली मेडिकल और पुलिस व्यवस्था इत्यादि के लिए होंगे जबकि लोकसभा में देश की सुरक्षा, आंतरिक सुरक्षा, रक्षा, विज्ञान, मुद्रा इत्यादि जैसे बड़े मुद्दे होंगे। आप क्षेत्र की पुलिस व्यवस्था के लिए केंद्र को और पडौशी देश के आक्रमण की स्थिति में राज्य सरकार को जिम्मेवार नहीं बना सकते।
2. वोटर का व्यक्तिगत लाभ और फ्रीबिज़- वोटर के कुछ व्यक्तिगत लाभ और काम हो सकते है जिनपर किसी अमुक उम्मीदवार से उसे पूरी सहायता मिलने की आशा हो तो वोट उसी उम्मीदवार को देना। आजकल वोटर को लुभाने के लिए उम्मीदवार अनेकानेक वादे करते हैं पार्टी चुनावी घोषणापत्र जारी करती है। इसमें यह देखना आवश्यक है कि क्या कोई वादा सरकार या उम्मीदवार की क्षमता से बाहर तो नहीं है। उदाहरण के लिए पंचायत के चुनाव में यह वादा की अपने क्षेत्र के हर गरीब को प्रतिमाह 2000 रुपए दिलाना या कोई MP उम्मीदवार या पार्टी वादा करे की देश के सभी गरीबों को एक मुश्त 50000 दिलाना (सरकार से दिलवाना), पूर्ण होने वाली प्रतीत नहीं होती जब तक गरीब की परिभाषा तय न हो। ऐसे वादे अधूरे होते है और मात्र लोक लुभावन रह जाते है।
3. उम्मीदवार की चुनी जाने वाली सरकार में भागेदारी और अपने वादे को लागू करवाने की क्षमता - साधारण तौर से पार्टी का उम्मीदवार अपनी पार्टी के घोषणापत्र के काम करवाने की क्षमता रखता है, विरोधी दल का उम्मीदवार यदि बहुत पावरफुल और रसुकात वाला नहीं है तो अपनी इच्छा से बहुत कम काम करवा सकेगा और निर्दलीय उम्मीदवार कोई काम जभी करवा सकेगा जब सरकार के पास पूर्ण बहुमत के आसपास की सीट हो या सरकार को स्थायी रखने में निर्दलीय चुने हुए प्रतिनिधि की मदद मिले या चुने गए प्रतिनिधि की सरकार में व्यक्तिगत पहुंच हो, अन्यथा ये अपनी मर्जी से नगण्य काम करवा पाएंगे, हां कुछ exception भी मिल जायेंगे जब इससे उलट हो जाए।
4. वोटर की किसी पार्टी की विचारधारा से जुड़ाव - कई वोटर विभिन्न कारणों से एक पार्टी विशेष से जुड़ा रखते है, ऐसे में ये लोग अपना वोट हर हालत में अपनी विचारधारा वाली पार्टी को ही देंगे।
5. पार्टी और उम्मीदवार का पिछले कार्यकाल के अनुभव और उसका आकलन - निश्चित रूप से कोई भी पार्टी और चुना हुआ प्रतिनिधि अपने कार्यकाल में अपने किए गए चुनावी वादों को शतप्रतिशत लागू नहीं करवा पाती, ऐसी स्थिति में इसबार उससे कितनी अपेक्षाएं रखना हैं यह वोटर पर निर्भर करता है।
6. जातिवाद और क्षेत्रवाद तथा ध्रुवीकरण- बहुत सारे वोटर अपना वोट अपनी ही जाति के उम्मीदवार को देना पसंद करते है इसमें समाजिक और व्यक्तिगत मजबूरियां भी हो सकती है। चुने हुए प्रतिनिधि का एक जाति विशेष के लिए ही काम करना और अन्य जातियों की समस्याओं को नजरअंदाज करना। चुने हुए प्रतिनिधि द्वारा अपने कार्यकाल में सिर्फ एक विशेष क्षेत्र में काम करना और दूसरे क्षेत्र की आवश्यकता समस्या और प्रगति को नजरअंदाज करना या रुकावट डालना।
7. क्षेत्र से बाहर का उम्मीदवार होना - कई बार क्षेत्र के बाहर के व्यक्ति चुनावो के बाद उपलब्ध ही नही होते और क्षेत्र की समस्याओं की जानकारी नही रखते और उस क्षेत्र से विमुख रहते है,
8. नोटा - मैं व्यक्तिगत रूप से नोटा के इस्तेमाल के पक्ष में नहीं हूं, वोटर कभी भी न्यूट्रल नही रहता, अपनी बुद्धि की क्षमता से आकलन कर किसी भी उम्मीदवार के पक्ष में वोट अवश्य डालना चाहिए, यह आपका कर्तव्य है अन्यथा सैद्धांतिक रूप से आप किसी भी पार्टी या उम्मीदवार को उनके अधूरे चुनावी वादों पर कुछ कहने या पूछने के हकदार नहीं है।
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विवेचना - वोट किसे देना है, यह व्यक्ति विशेष के विचारो और आकलन पर निर्भर करता है। इतना अवश्य सोचा जाना चाहिए की आपका चुना हुआ प्रतिनिधि अपने और यदि किसी पार्टी से है तो पार्टी के चुनावी वादों को क्रियान्वन करवाने में कितना सक्षम है। पार्षद का उम्मीदवार अपने क्षेत्र में AIIMS नहीं लगवा सकता और साधारण तौर से चुना गया MP आपके गली की रोज रोज की सफाई और बिजली पानी की व्यवस्था को सुचारू नहीं करवा सकता।यानी सुई के काम के लिए तलवार और तलवार के काम के लिए सुई ना खरीदे। भावावेश में वोट नही दे, एक गलती से दिया गया वोट एक कर्मठ उम्मीदवार को हरा सकता है।
नोट - मेरा उद्देश्य किसी भी पार्टी या उम्मीदवार के पक्ष या विपक्ष में लिखना नहीं है, मैं स्वयं किसी एक पार्टी की विचारधारा से संबद्ध नहीं हु और न किसी एक पार्टी या किसी उम्मीदवार विशेष को वोट देना प्रस्तावित करती हूं ।
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