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‘पुलिस को फ्री स्पीच के बारे में शिक्षित करें......‘

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सुप्रीम कोर्ट ने रद्द की आर्टिकल 370 के विरोध और पाकिस्तान को बधाई देने पर प्रथम सूचना रिपोर्ट (थ्प्त्) सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि देश के कार्यों की हर आलोचना या विरोध को धारा 153ए के तहत अपराध माना जायेगा तो लोकतंत्र जीवित नहीं रहेगा।

सुप्रीम कोर्ट ने आर्टिकल 370 से जुड़ा अहम फैसला सुनाया। आर्टिकल 370 खत्म करने के कंद्र सरकार के फैसले का कई लोगों ने विरोध किया था महाराष्ट्र के एक काॅलेज प्रोफेसर के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी क्योंकि उसने व्हाट्सएप् स्टेटस में आर्टिकल 370 को निरस्त करने की आलोचना और पाकिस्तान को उसके स्वतंत्रता दिवस पर शुभकामनाएं दी थी। इसी मामले को लेकर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोट्र ने कहा कि यह भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमारी पुलिस को संवदेनशील बनाने और शिक्षित करने का समय हैं।

सभी को आलोचना का अधिकार-सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एएस ओका और उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा, ‘‘भारत के प्रत्येक नागरिक को आर्टिकल 370 को निरस्त करने और जम्मू-कश्मीर की स्थिति में बदलाव की कार्रवाई की आलोचना करने का अधिकार हैं। जिस दिन इसे निरस्त किया गया उस दिन को ‘काला दिवस‘ के रूप में मनाकर विरोध करना पीड़ा की अभिव्यक्ति हैं। यदि राज्य के कार्योकी हर आलोचना या विरोध को धारा 153ए के तहत अपराध माना जायेगा, तो लोकतंत्र जीवित नहीं रहेगा।‘‘

भारतीय दंड़ संहिता की धारा 153-ए धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा, आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना और सद्भाव बनाये रखने के खिलाफ कार्य करने पर लागू होता हैं। पीठ का फैसला जावेद अहमद हजाम की याचिका पर आया, जो कोल्हापुर के एक काॅलेज में प्रोफेसर थे। 10 अप्रैल, 2023 को बाॅम्बे हाई कोर्ट ने एफआईआर रद्द करने की उनकी याचिका खारिज कर दी थी।

जानिये पूरा मामलाः-

13 अगस्त और 15 अगस्त 2002 के बीच, माता-पिता और शिक्षकों के एक व्हाट्सएप ग्रुप का हिस्सा रहे प्रोफेसर ने कथित तौर पर स्टेटस में दो पोस्ट किये। उन्होंने लिखा, ‘‘5 अगस्त काला दिवस जम्मू और कश्मीर और 14 अगस्त हैपपी इंडिपेंडेंस डे पाकिस्तान।‘‘ इसके अलावा व्हाट्सएप स्टेटस में यह था, ‘‘अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया गया, हम खुश नहीं हैं।‘‘ आरोपों के आधार पर कोल्हापुर के हटकनंगले पुलिस स्टेशन द्वारा आईपीसी धारा 153-ए के तहत एक थ्प्त्  दर्ज की गई थी।

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