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जन्माष्टमी : प्रमुख मंदिरों के साथ घरों में खूब सजी झांकियां, नन्हें मुन्ने बच्चों को मिला कृष्ण स्वरूप

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यह एक महत्वपूर्ण त्योहार है, खासकर की वैष्णव परंपरा में. भागवत पुराण के अनुसार, कृष्ण के जीवन के नृत्य, कृष्ण के जन्म के समय मध्यरात्रि में भक्ति गायन, उपवास, रत्रि जागरण और उसके अगले दिन जन्माष्टमी समारोह उत्सव का एक हिस्सा हैं. यह विशेष रूप से मथुरा और वृंदावन में एक बड़े त्योहार के रूप में मनाया जाता है| भारत के कई राज्यों में कृष्ण जन्माष्टमी काफी धूम धाम से मनाया जाता है. जन्माष्टमी को भगवान कृष्ण को विशेष भोजन, मक्खन-मिश्री, पंजीरी और मखाने की खीर खास तौर पर अर्पित किया जाता है. भक्त कृष्ण या विष्णु मंदिरों में जाकर पूजा अर्चना करते हैं| 

बीकानेर के दम्माणी चौक स्थित बड़ा गोपालजी मंदिर में शाम से ही दर्शन करने वालों की भीड़ रही। इसके अलावा जस्सूसर गेट स्थित कृष्ण मंदिर में भी भक्तों का तांता लगा रहा। बीकानेर के मरुनायक चौक, दम्माणी चौक, रांगड़ी चौक, बड़ा बाजार, मोहता चौक के अलावा मुरलीधर व्यास नगर, जवाहर नगर, अंत्योदय नगर, जयनारायण व्यास नगर सहित अनेक कॉलोनियों में स्थित मंदिरों में व घरों में कृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव मनाया गया। जन्माष्टमी पर्व पर शहर में मंदिरों सहित गली-मौहल्लों में कंस बनाए गए। जन्माष्टमी पर्व पर छोटे-छोटे बच्चों ने कृष्ण और राधा के स्वरुप धारण किए। घर-परिवार के सदस्यों ने बच्चों को मुकुट, बंशी, मोर मुकुट,तिलक, हार सहित राधा व कृष्ण के वस्त्र पहनाकर राधा-कृष्ण के रुप में तैयार किया। 



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