भाभी और ननद से गैंगरेप, दोनों ने की आत्महत्या, अंधा निकला कानून, गंगानगर की दिल दहला देने वाली घटना #GangRape #Crime #Rajasthan #KFY #KFYNEWS #KHABARFORYOU #RajasthanNews #NATIONALNEWS
- Aakash .
- 06 Apr, 2024
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श्रीगंगानगर (राजस्थान) - रूह को कंपा देने वाली घटना राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले के सूरतगढ़ राजियासर थाना इलाके से सामने आई है। जहाँ भाभी और दोनों को ब्लैकमेल करके उनका गैंगरेप किया। इन शोषण से परेशान भाभी और ननद दोनों ने आत्महत्या कर अपनी जिंदगी समाप्त कर दी।
RAJASTHAN CRIME
:
साल 2017 में एक
फिल्म आई थी 'काबिल'। इस फिल्म के हीरो और हिरोईन यानी ऋतिक रोशन और यामी गौतम का किरदार नेत्रहीन था। फिल्म में एक कॉर्पोरेटर का बेटा यामी के किरदार का रेप करता है ऋतिक और यामी थाने जाकर रिपोर्ट लिखाते हैं। लेकिन पुलिस कुछ नहीं करती। इसके बाद हौसला बढ़ता है तो कॉर्पोरेटर का बेटा दोबारा यामी के घर
में घुस कर उसका रेप करता है। अब कानून और सिस्टम से हार चुकी यामी की किरदार खुदकुशी कर लेती है।
फिल्म की ये कहानी दिल झकझोर देने वाली है। लेकिन राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले के सूरतगढ़ के राजियासर थाना इलाके के गांव सांवलसर की कहानी रूह को कंपा देना वाली है। यहां गैंगरेप के बाद ब्लैकमेलिंग से परेशान होकर एक भाभी और ननद ने अपनी जिंदगी खत्म कर ली। करीब तीन महीने पहले भाभी ने आग लगाकर आत्महत्या कर ली थी, जबकि चार दिन पहले मजबूर नंनद ने फांसी का फंदा लगाकर खुदकुशी कर ली है। आरोप गांव के तीन लड़कों पर लगा है।
मृतक के भाई का बयान
मृतिका के भाई ने बताया कि गांव के तीन युवक पिछले कुछ समय से उसकी पत्नी को परेशान थे। उन्होंने उसकी पत्नी का अश्लील वीडियो बना लिया था, जिसे वायरल करने की धमकी देकर लगातार उसके साथ रेप कर रहे थे। इसके बाद उन्होंने उसे अपनी ननद से बात करवाने को कहा था लेकिन भाभी ने शुरुआत में बात नही करवाई लेकिन अंत मे परेशान होकर भाभी ने ननद की बात करवा दी जिसके बाद उन्होंने ननद को भाभी की इज्जत का वास्ता देकर ननद को मिलने बुलाया और फिर उसके साथ भी गैंगरेप को अंजाम दिया।
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देश का कानून अंधा है
इस तरह तीनों युवक
उन दोनों महिलाओं का लगातार शारीरिक
शोषण करने लगे। इससे तंग आकर भाभी ने एक दिन खुद को आग लगा लिया। उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया।
कुछ दिनों बाद ही उसकी मौत हो गई। ये दिसंबर 2023 की बात है। इस
मामले के खुलासे के बाद पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ
केस तो दर्ज कर लिया, लेकिन उनके खिलाफ
कार्रवाई से बचती रही। इधर आरोपियों का मन इतना बढ़ गया कि भाभी की मौत के बाद भी ननद को परेशान करते रहे। इससे दुखी होकर ननद ने अपने परिजनों को सारी बात बता दी। परिवार के लोग
थाने पहुंचे। पीड़ित लड़की का बयान दर्ज किया जाने लगा। इस
दौरान पुलिस अधिकारी पीड़िता के
साथ ऐसे सलूक कर रहे थे, जैसे कि
वो खुद आरोपी हो। डीएसपी ऐसे ऐसे सवाल पूछ रहे थे जिसे
सुन कर पीड़िता को को लग रहा था जैसे एक बार फिर उसका
बलात्कार हो रहा है। पुलिसिया व्यवहार से तंग आकर पीड़िता के परिजन गंगानगर एसपी गौरव यादव के पास पहुंचे।
एसपी को पूरे मामले
से अवगत कराया। उनके आदेश के बाद इस मामले की जांच शुरू की गई। लेकिन अंधे कानून के अंधेपन का तमाशा खत्म नहीं होता है। लड़की के साथ गैंगरेप हुआ था। जाहिर है मेडिकल रिपोर्ट से उसकी सच्चाई सामने आ जाती। लेकिन कानून को अपने हिसाब से नचाने वाले डिप्टी एसपी और उनके बहादुर पुलिस वालों की बेशर्मी देखिए कि मेडिकल टेस्ट के लिए आभा को उसके गांव से श्रीगंगानगर अकेले उस दिन अस्पताल भेजते हैं, जिस दिन अस्पताल में छुट्टी थी। कोई डॉक्टर तक नहीं था। पूरा
दिन खराब करके पीड़िता वापस लौट आई। अगले दिन फिर पीड़िता शहर के अस्पताल पहुंची।
वहां उसके साथ ऐसा
सलूक होता है जैसे वो खुद रेपिस्ट है। हमाम
के नंगेपन का आलम देखिए खाकी के साथ-साथ
सफेद कोट वाले डॉक्टर साहब भी वैसे ही कानून
का तमाशा बना रहे थे, जैसे खाकी वाले बड़े बाबू उन्हें बताते जा रहे थे। पीड़िता पढ़ी लिखी थी। उसने निर्भया की कहानी भी सुन रखी थी। उसे लगता था कि अब देश बदल चुका है।
पुलिस वाले किसी बलात्कारी को नहीं
छोड़ेंगे। इसलिए वो तमाम दुश्वारियों के बावजूद गुनहगारों को सजा दिलाना चाहती थी।
पीड़िता की लड़ाई के आगे कानून को झुकना पड़ा। तीन में से दो गुनहगारों के खिलाफ गैंगरेप का केस दर्जकर पुलिस ने उन्हें जेल भी भेज दिया। लेकिन तीसरे और सबसे ताकतवर गुनहगार की लड़ाई अब भी जारी थी। तीसरा गुनहगार कोई मामूली गुनहगार नहीं है। राज्य के एक मंत्री का रिश्तेदार है। लिहाजा पुलिस अपना पूरा फर्ज निभाते हुए उसे इस केस से दूर कर दिया। पीड़िता उसे भी सजा दिलाने के लिए लड़ती रही। लेकिन इसमें कोई उसका साथ नहीं दे रहा था। उल्टे उसकी वजह से घर और घर के लोगों की परेशानियां बढ़ती जा रही थी। इस बात का अहसास अब पीड़िता को भी होने लगा था। लिहाजा तीन अप्रैल को उसने एक आखिरी फैसला लिया। वो अपनी आखिरी बात मीडिया के जरिए देश तक पहुंचाना चाहती थी। इसीलिए उसने तीन अप्रैल की सुबह कुल चार रिपोर्टर को फोन किया। उनको अपनी पूरी कहानी सुनाने के बाद करीब 12 घण्टे बाद अपने घर में फांसी के फंदे पर झूल गई दी।
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अंधे कानून की वजह से की खुदकुशी
फांसी पर झूलने से पहले उसने अपनी कलाई भी काट ली थी। वो खुद के जिंदा बच जाने की कोई भी गुंजाइश छोड़ना ही नहीं चाहती थी। शायद वो अंधे बहरे और गूंगे कानून के उकता चुकी थी। उसे यकीन हो चला था कि जो इंसाफ उसे जीते जी नहीं मिल रहा शायद उसकी मौत उसे वो इंसाफ दिला दे। बस यूं समझ लीजिए कि उसकी कहानी फिल्म 'काबिल' से कुछ अलग नहीं है। फर्क इतना है कि फिल्म में हीरो और हिरोईन अंधे बने थे, यहां कानून अंधा था। इसी अंधे कानून की वजह से दो लोगों को खुदकुशी करनी पड़ी जी हां, ननद से पहले उसकी भाभी को भी जब कानून और पुलिस से उसके सुलगते सवालों के जवाब नहीं मिले, तो वो खुद ही जिंदा आग में जल उठी। ये कहानी सिर्फ दो मौत की कहानी नहीं है, बल्कि ये खाकी, खादी, कानून, इंसाफ, सिस्टम हरेक के मुंह पर एक झन्नाटेदार थप्पड़ है। तो चलिए जीते जी पीड़िता की जिस कहानी को उसकी तमाम कोशिशों के बावजूद कोई नहीं सुन पाया, उसे सुनते हैं।
इस मामले से जुड़ी खबरे आप तक पहुचाते रहेंगे, TEAM KFY
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