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जल है तो कल है पर निजीकरण कर्मचारियों के लिए दलदल है , हुआ विरोध प्रदर्शन --- राजस्थान में जलदाय विभाग का निजीकरण होगा ! #RWSSC_वापस_लो #RWSSC_वापस_लो #PHED #RWSSC

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माननीय प्रधानमंत्री भारत सरकार द्वारा 15 अगस्त, 2019 को जल जीवन मिशन लांच किया गया था। इस मिशन हेतु योजना की लागत का 5-10 प्रतिशत राशि जन सहयोग से एवं शेष राशि का 50 प्रतिशत केंद्र सरकार द्वारा एवं 50 प्रतिशत राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाना है। गत सरकार द्वारा राज्य मद की राशि की व्यवस्था के लिए वर्ष 1979 में सृजित राजस्थान जलप्रदाय एवं सीवरेज निगम (RWSSC) के माध्यम से राशि 8600 करोड रूपये का ऋण लिया गया तथा उस ऋण के भुगतान हेतु जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग द्वारा शहरी एवं ग्रामीण योजनाओं पर जारी पेयजल संबंधों के बिलों से प्राप्त राशि RWSSC को स्थानांतरित कर दी गयी।

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महोदय, जल जीवन मिशन अंतर्गत राज्य स्तरीय योजना स्वीकृति समिति द्वारा अनुमोदित राशि रूपये 50,000 करोड़ की जल योजनओं के क्रियान्वयन हेतु राज्य मद की राशि की व्यवस्था के लिए वित्त विभाग द्वारा निरंतर विभाग पर RWSSC के माध्यम से अतिरिक्त ऋण लेने का दबाव बनाया जा रहा है। जिसके लिए विभागीय परिसम्पत्तियों को (जल जीवन मिशन अंतर्गत सृजित परिसम्पत्तियों सहित) RWSSC को हस्तांतरित किये जाने की कार्यवाही की जा रही है एवं चरणबद्ध रूप से सभी नयी एवं पुरानी जल योजनाएं मय विभागीय स्टाफ RWSSC को हस्तांतरित किया जावेगा।

महोदय, राज्य के नागरिकों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध करवाया जाना राज्य सरकार के मुख्य कर्तव्यों में शामिल है। भारतीय संविधान निर्माताओं द्वारा भी यह विषय राज्य सूची में सम्मिलित किया गया था। अतः राज्य का प्रत्येक नागरिक राज्य सरकार से यह अपेक्षा करता है कि उसे उचित दरों पर शुद्ध पेयजल मिले। परन्तु RWSSC को राज्य में पेयजल उत्पादन एवं वितरण का कार्य स्थानांतरित किये जाने के पश्चात् ऐसा किया जाना संभव नहीं हो पायेगा, क्योंकि RWSSC जो कि प्रारम्भ से ही ऋण के बोझ के तले दबा हुआ होगा और ऋण के भुगतान के लिए उसे मजबूरन ऋण दाता के दबाव में जल राजस्व बढ़ाने के लिए जल शुल्क में बे तहाशा वृद्धि करनी होगी।

महोदय वर्तमान में राज्य सरकार द्वारा पेयजल समस्याग्रस्त क्षेत्रों में सुचारु पेयजल आपूर्ति हेतु यथा संभव नलकूप, हैंड पंप निर्माण एवं अन्य योजनाओं की स्वीकृतियां जारी की जाती है। परन्तु RWSSC को हस्तांतरण के पश्चात् RWSSC को प्रत्येक नवीन कार्य हेतु ऋण लेना होगा और ऋण के अभाव में पेयजल व्यवस्था बनाये रखने के अति आवश्यक कार्य भी नहीं करवाए जा सकेंगें, जो कि आपकी सरकार की लोक कल्याणकारी छवि को बुरी तरह प्रभावित करेगा।

महोदय राज्य में वर्तमान में भी कई निगम यथा RSRDC, RTDC, RSC इत्यादि राज्य सरकार के अधीन कार्यरत हैं एवं उनकी हालत किसी से भी छुपी हुई नहीं है। RWSSC की हालत शायद इन सभी निगमों में सब से ज्यादा दयनीय होगी जिस पर कर्ज का बोझ तो कई हज़ार करोड़ का होगा और राजस्व वसूली मात्र कुछ 500-600 करोड़ वार्षिक, अर्थात ऊंट के मुँह में जीरा। ऐसे में कर्मचारियों की मासिक तन्खवाह एवं अन्य भत्तों के समय पर भुगतान की

उम्मीद काफी कम है, जिस कारण कर्मचारियों एवं उनके परिवार की आजीविका पर संकट की सम्भावना से इंकार नहीं किया जा सकता।

उपरोक्त कारणों से यह स्पष्ट है कि राज्य में पेयजल आपूर्ति से जुड़े हुए कार्यों को निगम को हस्तांतरित किये जाने का निर्णय किसी भी रूप में आम जनता, विभागीय कर्मचारियों एवं स्वयं राज्य सरकार के हित में नहीं है। अतः संगठन ऐसे किसी भी प्रकार के प्रयास का पुरजोर विरोध करते हुए आपसे यह अनुरोध करता है कि जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के कार्यों को RWSSC को हस्तांतरित किये जाने के निर्णय पर पुनर्विचार कर इस कार्यवाही को रोकने हेतु सम्बंधित को निर्देशित करने का श्रम करें।


निजीकरण का कारण और उद्देश्य

बताया जा रहा है कि जलदाय विभाग को ऋण प्राप्त करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था. इस समस्या का समाधान करने के लिए विभाग ने निजीकरण का रास्ता चुना है. कॉरपोरेशन का गठन 1979 एक्ट के तहत किया जा रहा है और इससे उम्मीद है कि विभाग को वित्तीय सहायता और ऋण प्राप्त करने में आसानी होगी. चीफ इंजीनियर शहरी, एनआरडब्ल्यू को RWSSC का मैनेजिंग डायरेक्टर (MD) नियुक्त किया गया है.

विरोध की लहर

हालांकि, इस निर्णय के विरोध में भी सुर उठने लगे हैं. जलदाय विभाग के निजीकरण के खिलाफ कल वाटर वर्क्स कर्मचारी संघ ने एक आपात बैठक बुलाई है. इस बैठक में निजीकरण के खिलाफ रणनीति पर चर्चा की जाएगी. वहीं, कई अन्य संगठन भी जल भवन में इकट्ठा होकर इस फैसले का विरोध प्रदर्शन किया.

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