अयोध्या की क्या गलती, BJP की हार कोई नई बात नही, फैजाबाद में 7 बार हार चुकी BJP #Ayodhya #Faizabad #BJP #SocialMedia #KFY #KHABARFORYOU #KFYNEWS

- Aakash .
- 07 Jun, 2024
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अयोध्या को लेकर सोशल मीडिया भरी पड़ी है। बहुत से लोग अयोध्या के लोगों की तीखी आलोचना कर रहे हैं। कहीं-कहीं ‘गद्दार’ जैसे शब्दों का भी इस्तमाल किया जा रहा है। कोई कह रहा है कि अयोध्या जाओ, रामजी के दर्शन करो, लेकिन वहां के लोगों से कुछ खरीदो मत। मतलब अयोध्या वालों को किसी तरह का फायद मत दो। हालांकि ये सब एकपक्षीय नहीं है। सोशल मीडिया पर अयोध्या हारने पर बीजेपी को चिढ़ाने वाले पोस्ट भी देखे जा रहे हैं। लेकिन ये विचित्र विचार है कि अयोध्या में रामजी के दर्शन के लिए जाने पर वहां से कुछ खरीदा न जाए।
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मंडल,
जिले, स्टेशन के नाम बदल लेकिन लोकसभा फैजाबाद
दिलचस्प है कि
फैजाबाद जिले, मंडल और रेलवे स्टेशन का नाम बदल कर अयोध्या कर दिया गया है। नहीं बदला है तो बस लोकसभा सीट का नाम। फिर भी सोशल इंफ्लूएंसर और मीडिया के तमाम हिस्से
में इसे अयोध्या के नाम से ही लिखा-बोला जा रहा है। जबकि
चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में इस लोकसभा सीट का नाम फैजाबाद ही है। कहने का मतलब है कि टेक्निकली अयोध्या से नहीं
फैजाबाद से बीजेपी उम्मीदवार की पराजय हुई है, अयोध्या से नहीं। चुनाव
आयोग के ताजा आंकड़ों के मुताबिक अयोध्या ने बीजेपी उम्मीदवार लल्लू सिंह को
जिताया ही था। बाकी विधान सभा सीटों में वे पीछे हुए हैं। अयोध्या विधान सभा सीट ने बीजेपी के लल्लू सिंह को
तकरीबन साढ़े चार हजार वोटों से आगे रखा था। वो
तो बाकी चार विधान सभा सीटों में बीजेपी पीछे हो गई। ये
भी याद रखने वाली बात है कि इस लोक सभा की पांच विधान सभा सीटों में अयोध्या और
दरियाबाद ज्यादार चुनावों में निर्णायक होती हैं। इस
बार दरियाबाद ने इंडिया गठबंधन को 10 हजार वोटों से पीछे कर दिया।
राममंदिर इलाके से
वार्ड मेंबर मो. सुल्तान
फिर भी दोष अयोध्या
को ही दिया जा रहा है। अयोध्या के बारे में एक रोचक तथ्य ये है
कि वहां से नगर निगम में वार्ड मेंबर मुस्लिम समुदाय से है। पिछले साल हुए यहां निगम चुनाव में मेयर तो
बीजेपी का ही हुआ लेकिन अभिरामदास नाम के वार्ड नंबर एक या रामकोट के लोगों ने मो.
सुल्तान अंसारी को अपना मेंबर चुना।
फैजाबाद लोकसभा सीट का इतिहास
बहरहाल, पहले भी
बीजेपी को फैजाबाद अयोध्या में हार का सामना करना पड़ा है।
लेकिन कभी इस तरह से अयोध्या और अयोध्या के लोगों को कोसा नहीं गया। भले ही उस वक्त सोशल मीडिया नहीं था, लेकिन शोर
मचाने के दूसरे साधन तो थे ही। फिर लोगों ने शांति रखी, अयोध्या और फैजाबाद के लोग तो हमेशा से शांति ही रखते रहे। 6 दिसंबर 1992 को जब विवादित ढांचा गिराया गया था
तब भी यहां के लोगों ने कोई वितंडा नहीं किया था। तब
कांग्रेस के निर्मल खत्री फैजाबाद से सांसद थे।
ढांचा गिराए जाने के बाद नरसिंहराव सरकार ने कल्याण सिंह की उत्तर प्रदेश सरकार
समेत )चार राज्यों की बीजेपी सरकारों को बर्खास्त कर दिया था। इसके बाद हुए विधान सभा चुनावों में अयोध्या तो
बीजेपी को मिली लेकिन फैजाबाद लोकसभा की बाकी चार विधान सभा सीटों से दूसरी
पार्टियों विधायक ही चुने गए।
इतिहास की बात हो
रही है तो ध्यान रखना चाहिए कि 1985 में बीजेपी ने राम को मुक्त कराने संकल्प लिया
था। उस वक्त भी फैजाबाद से सांसद निर्मल खत्री थे। 1989 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी का असर बहुत बढ़
चुका था। पूरी हिंदी पट्टी में उसके उम्मीदवार छाए थे। फिर भी अयोध्या वाले फैजाबाद ने भारतीय
कम्युनिस्ट पार्टी के मित्रसेन यादव को सांसद चुना। अयोध्या
सीट भी जनता दल के जय शंकर पांडेय को मिली।
1991 में फैजाबाद लोकसभा सीट बीजेपी को
मिली। विनय कटियार यहां से सांसद हुए। साथ ही पांचों विधान सभा सीटें भी बीजेपी की झोली
में गिरी। 1996 में फिर विनय कटियार जीते। 2004 में वे मित्रसेन यादव से हार गए थे। बहराहल 2014 और 2019 में लल्लू सिंह यहां से
सांसद चुने गए। जिनके इस बार हार जाने पर हंगामा किया जा
रहा है।
अखिलेश ने कहा था पूर्व विधायक
यहां याद दिलाना दिलचस्प है कि ये वही अवधेश प्रसाद हैं जिन्हें एक सभा में एसपी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मंच से मिल्कीपुर का पूर्व विधायक कह दिया था। इसे लेकर भी सोशल मीडिया पर मजाक बना था। समाजवादी पार्टी के संस्थापकों में से एक खुद अवधेश प्रसाद ने अखिलेश से को टोका था कि “वे अभी भी विधायक हैं.” अपनी बात संभालते हुए अखिलेश ने मंच से कहा – “अब आप विधायक नहीं रहेंगे. आप तो सांसद हो जाएंगे.”इसलिए पूर्व विधायक कहा.ये भी एक संयोग है कि अवधेश के नाम का अर्थ ही होता है अवधपुरी का स्वामी. अयोध्या को अवधपुरी भी कहते हैं. लिहाजा राम का एक नाम अवधेश भी है।
पुलिस में शिकायत
अयोध्या बीजेपी महिला मोर्चा की एक सक्रिय कार्यकर्ता लक्ष्मी सिंह ने अयोध्या के विरुद्ध सोशल मीडिया पर विरोधी बातें लिखने वालों की बाकायदा पुलिस में शिकायत भी की है. अयोध्या पुलिस इस पर कानून के मुताबिक कार्रवाई करेगी. इधर गाज़ियाबाद में भी पुलिस ने कुछ व्यक्तियों को हिरासत में लिया है जो अयोध्या के बारे में अनाप शनाप लिख रहे थे. लिहाजा राजनीतिक टिप्पणियां तो अपनी जगह है, अवधपुरी की आलोचना संभल कर करने की जरूरत है।
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