हाई कोर्ट ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि संबंधित याचिकाओं पर बहस पूरी होने पर फैसला किया सुरक्षित #Allahabadhighcourt #ShriKrishnaJanmabhoomi_ShahiEidgahmosque_dispute #KFY #KFYNEWS #KHABARFORYOU #NATIONALNEWS
- Aakash .
- 01 Jun, 2024
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा श्री कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद से जुड़ी याचिकाओं की पोषणीयता पर बहस पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट में शुक्रवार को मुस्लिम पक्ष की ओर से सुबह 10 बजे से करीब पौने 12 बजे तक याचिकाओं की पोषणीयता पर सुनवाई हुई। मुस्लिम पक्ष की ओर से वाद संख्या 9 और 16 में बहस की गई। इससे पहले अन्य वादों में मुस्लिम पक्ष की बहस पहले ही पूरी हो गई थी।
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दोनों पक्षों की बहस पूरी, फैसला सुरक्षित
बहस पूरी होने के
बाद जस्टिस मयंक कुमार जैन की सिंगल बेंच ने फैसला सुरक्षित कर लिया है। कोर्ट ने हिंदू पक्ष की ओर से दाखिल डेढ़ दर्जन
याचिकाओं पर 29 कार्य दिवसों में हुई सुनवाई के बाद बहस पूरी होने पर फैसला
सुरक्षित किया है। इन याचिकाओं की पोषणीयता पर फैसला अब
ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान जून महीने में या फिर जुलाई महीने में सुनाए जाने की
संभावना है।
शाही ईदगाह
मस्जिद विवाद
गौरतलब है कि श्री
कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद को लेकर हिंदू पक्ष की तरफ से दाखिल की
गई याचिकाओं पर ईदगाह कमेटी ने ऑर्डर 7 रूल्स 11 के तहत आपत्ति दर्ज कराई थी। इसके जरिए शाही ईदगाह कमेटी की तरफ से याचिकाओं
की पोषणीयता पर सवाल उठाए गए थे। मुस्लिम पक्ष ने हिंदू पक्ष की याचिकाओं
को खारिज किए जाने की अपील की थी।
मुस्लिम पक्ष की ओर से की गई दलील
मुस्लिम पक्ष की
दलील है कि विवादित संपत्ति वक्फ संपत्ति है।
इसलिए इस विवाद का निपटारा वक्फ ट्रिब्यूनल में ही हो सकता है। मुस्लिम पक्ष की यह भी दलील है कि है मामला मियाद
अधिनियम यानी लिमिटेशन एक्ट से भी बाधित है।
मुस्लिम पक्ष ने मुख्य रूप से प्लेसिस आफ वरशिप एक्ट 1991, वक्फ एक्ट, लिमिटेशन
एक्ट और स्पेसिफिक पजेशन रिलीफ एक्ट का हवाला देते हुए हिंदू पक्ष की याचिकाओं को
खारिज किए जाने की दलील पेश की। जबकि हिंदू पक्ष की याचिकाओं में शाही
ईदगाह मस्जिद की जमीन को हिंदुओं की बताकर वहां पूजा का अधिकार दिए जाने की मांग
की गई।
हिन्दू पक्ष की ओर से की गयी दलील
हिंदू पक्ष की ओर
से दलील दी गई कि किसी भी संपत्ति पर अतिक्रमण करना उसकी प्रकृति बदलना और उसे
बिना स्वामित्व के वक्फ संपत्ति के रूप में परिवर्तित करना वक्फ की प्रकृति रही है। इस तरह की प्रथा की अनुमति नहीं दी जा सकती है। इस मामले में वक्फ अधिनियम के प्रावधान लागू नहीं
होंगे। हिंदू पक्ष की ओर से कहा गया विवादित संपत्ति वक्फ
संपत्ति नहीं है। विवादित स्थल पर जबरन कब्जा करने के बाद
नमाज अदा करना शुरू किया गया। इस तरह से जमीन का चरित्र नहीं बदला जा
सकता है। दलील दी गई है कि विचाराधीन संपत्ति वक्फ संपत्ति
नहीं है। इसलिए अदालत को ही इस मामले में सुनवाई का अधिकार
है।
किसके पक्ष में होगा फैसला, किसकी दलील मजबूत
हिंदू पक्ष की याचिकाओं में विवादित परिसर को भगवान श्री कृष्ण की जन्म भूमि बताकर उसे हिंदुओं को सौंपे जाने की मांग की गई है और वहां पूजा पाठ की इजाजत दिए जाने की मांग की गई है। इलाहाबाद हाईकोर्ट अयोध्या विवाद की तर्ज पर मथुरा के मंदिर मस्जिद विवाद को जिला अदालत के बजाय सीधे तौर पर सुन रहा है। हिंदू पक्ष की ओर से दाखिल की गई 18 याचिकाओं की पोषणीयता पर एक साथ सुनवाई कर रही थी। ज्यादातर अर्जियों में विवादित स्थल हिंदुओं को दिए जाने की मांग की गई है। हिंदू पक्ष का दावा है कि उन्होंने जिस तरह से कोर्ट में तथ्य पेश किए हैं फैसला उनके हक में आएगा। याचिकाओं की पोषणीयता पर हिंदुओं के पक्ष में फैसला आने के बाद मुकदमे का ट्रायल शुरू हो सकेगा।
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